बाबा सेक्स पोर्न स्टोरी में पढ़ें कि एक गाँव में एक बाबा अपने तरीके से इलाज करता था. इलाज की आड़ में वो लड़कियों बहुओं के साथ क्या क्या करता था?
आपने मेरी पिछली कहानी
मोटा सेठ मोटा लौड़ा
पढ़ी होगी अगर नहीं पढ़ी तो अब पढ़ लो, मजा सा आ जाएगा।
आज मैं नई कहानी लिख रहा हूं।
यह बाबा सेक्स पोर्न स्टोरी कुछ 20 साल पहले की है। उस समय मेडिकल की सुविधा ज्यादा नहीं थी। गांव में भी एक दो डॉक्टर ही होते थे; वो भी ज्यादा पढ़े लिखे नहीं।
तो कुछ थोड़ी भी अजीब बीमारी होती तो उस बीमारी का नाम ऊपरी हवा, झपट, भूत प्रेत का साया जैसे नाम दिए जाते थे.
उनके इलाज के लिए लोग साधु महाराज के पास जाते थे क्योंकि वो गुरुकुल में चिकित्सा के बारे में भी पढ़ते थे और कई मानसिक और शारीरिक बीमारी का इलाज करते थे।
उन साधु महाराज को बाबा का नाम दिया जाता था।
अब सब बाबा एक जैसे नहीं होते थे; कुछ ढोंगी बाबा भी होते थे। जो इन अच्छे साधु की तरह बस कपड़े पहन कर रुपए कमाते थे और अपनी हवस की आग बुझाते थे।
गांव से थोड़ी सी दूर एक कुटिया में एक बाबा रहते थे।
वो गांव में आटा, दूध, मक्खन मांग के अपना गुजारा करते थे।
गांव में एक दो लोगो को कुछ बीमारी हुई और वो बाबा ने ठीक कर दी.
तो सब उनको भूत सम्मान देने लगे और उनको मंदिर में ले आए।
मंदिर के पीछे एक पुराने घर में उनके रहने का इंतजाम कर दिया गया।
अब तो बाबा के पास गांव के बहुत मरीज जाने लगे।
बाबा कुछ का कुछ इलाज कर देते. कुछ ठीक होते … कुछ नहीं … पर बाबा कोई इल्ज़ाम नहीं देता था।
गांव की एक लड़की लाजवंती उर्फ लाजो 22 वर्षीय जवान, काफी दिनों से बीमार चल रही थी.
वैद्य को दिखाया पर वो ठीक नहीं हुई।
तो लाजों की माँ को किसी ने कहा कि मंदिर वाले बाबा को भी दिखा ले एक बार!
कि कुछ भूत प्रेत का साया ना हो।
तो वो लाजो को लेकर बाबा के पास गई.
बाबा मंदिर में सफाई करने में लगे थे। बाबा ने उन्हे मंदिर के पीछे जाकर इंतजार करने को बोला तो वो बाबा के रहने वाले घर में आ गई।
कुछ देर बाद बाबा भी आ गया।
उसने पूछा- माई क्या तकलीफ है?
तो माई ने पूरी कहानी सुनाई.
बाबा ने उन्हें थोड़ा समझाया और लाजो से बात करने लगा।
कुछ बात पूछकर उसने राख की पुड़िया बनाई और उसे दे दी।
फिर बोला- माई, इसे एक दो दिन इसी समय ले आना।
तो माई उन्हें हाँ कर दिया।
अब लाजवंती अगले दिन भी बाबा के पास गई।
उसने फिर उससे बात की।
दो चार चलता रहा।
फिर एक दिन बाबा ने लाजवंती को सामने बैठा लिया और उसकी माई को बोला कि वो दूर रखी हुई चारपाई पर बैठ जाए।
तो लाजवंती की माँ कुछ दूर रखी चारपाई पर बैठ गई।
बाबा ने लाजो से बात करना शुरू कर दिया- बच्चा भूख लगती है?
लाजवंती- हाँ बाबा!
बाबा- कोई चिंता की बात है घर में!
लाजवंती- नहीं बाबा, सब ठीक है.
बाबा- तेरा शादी हो गई?
लाजवंती- नहीं बाबा अभी ना हुई।
बाबा- मन करता है?
लाजवंती- हाँ बाबा!
बाबा के लगातार सवाल पूछने से लाजवंती सोच नहीं सकी और बस बोलती जा रही थी।
पर अब ये बोल कर वो थोड़ा शरमा गई।
बाबा- हाँ, अब तू जवान हो गई है तो मन तो करता ही होगा। किसी के साथ मिली है अभी तक?
लाजवंती गर्दन झुका कर बैठी रही; बोली नहीं।
बाबा- बच्चा बोल किसी से मिली है या अब तक कुंवारी है?
अब लाजवंती ने अपनी मां की तरफ मुड़ कर देखा. वो कुछ दूर बैठी थी और उसे ही देख रही थी पर उसको आवाज नहीं सुन रही थी।
बाबा- माई को हमारी बात नहीं सुनेगी. तू बता कुंवारी है के नहीं?
लाजवंती ने गर्दन झुका कर हाँ बोल दिया।
तो बाबा ने कहा- तेरी बीमारी का पता चल गया।
लाजवंती- अच्छा बाबा।
बाबा- हाँ, इलाज तो मिल गया पर उसे करना बहुत मुश्किल काम है।
लाजवंती- बाबा, जो भी करना मैं कर लूंगी। तू बता दे बस!
बाबा- बेटी, इलाज की पहली शर्त कि तू यह बात किसी को बताएगी नहीं।
लाजवंती- ठीक है बाबा किसी से नी बताऊं।
बाबा- तो ध्यान से सुन! रात को जब पेशाब करने उठे तो अच्छे से हाथ मुंह धोकर एक मूली या गाजर लेकर अपनी पेशाब वाली जगह पर रगड़ देना।
लाजवंती- ठीक है बाबा।
अब लाजवंती घर आ गई।
वो घर में मूली ढूंढने लगी पर मिली नहीं तो उसने एक मोटी सी गाजर उठा कर रसोई में ही छुपा दी.
फिर रात होने का इंतजार करने लगी।
रात होते ही सब सो गए तो लाजवंती ने रसोई से गाजर उठाई और घर के पीछे बने पेशाबघर में आ गई।
उसने पेशाब किया और फिर गाजर को अपनी चूत के ऊपर रगड़ने लगी।
थोड़ी देर बाद उसे मज़ा आने लगा तो वो और जोर जोर से रगड़ने लगी।
गाजर उसकी चूत में थोड़ी घुस भी जाती तो वो फिर भी रगड़ती रहती।
फिर उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और उसको बहुत अच्छा लगा।
तो वो वापस आकर सो गई।
वो कुछ दिन तक रातें अपनी चूत पर गाजर मूली रगड़ती रही. कभी कभी अंदर भी डाल लेती और पानी निकालती रही।
अब घर में वो सबको सामान्य दिखने लगी।
मतलब अब वो ठीक हो गई।
फिर कुछ दिन बाद लाजवंती अपनी मां के साथ बाबा को मिलने गई।
मां- बाबा तूने तो कमाल कर दिया। इब तो या बिल्कुल ठीक है।
बाबा- माई ये तो ऊपर वाले की दया है. वो ही करता है सब!
मां- बाबा ले, मैं तेरे लिए खाना लाई।
बाबा ने वो खाना रखवा दिया और बोला- माई अब इसकी शादी कर दे कोई अच्छा सा लड़का देख के!
मां- हाँ बाबा, शादी तो पहले ही कर देते. पर या बीमार थी. इसका रंग भी पीला हो गया था। पर अब कर देंगे।
शादी की बात सुनकर लाजवंती शरमा गई।
बाबा- माई, इसे सुबह कु मंदिर में भेज दिया कर … पूजा करनी पड़ेगी जिससे इसे अच्छा सा घर मिले।
मां- ठीक है बाबा, कल से ही आया करेगी।
अगले दिन लाजवंती सुबह ही पूजा करने आयी तो बाबा ने उसे देख लिया और वापस जाते हुए इसे मंदिर पीछे आने का इशारा किया।
वो चली गई।
बाबा वहाँ अकेला था।
बाबा- अब कैसे हो बेटी?
लाजवंती- ठीक हूं बाबा अब तो!
बाबा- बेटी, अभी तेरा थोड़ा सा इलाज और करना पड़ेगा।
लाजवंती- ठीक है बाबा बता क्या करना है?
बाबा- ठीक है, अंदर आ जा।
तो लाजवंती बाबा के साथ अंदर चली गई।
बाबा ने उसे हाथ पकड़ा समान रखने जो बोला और खुद दरवाजा बंद कर दिया।
तो लाजवंती दरवाजा बंद देख कर डर गई- बाबा दरवाजा क्यूं बंद कर दिया।
बाबा- कुछ इलाज अकेले में ही करने पड़ते हैं। मैंने उस दिन भी बताया था।
लाजवंती अब समझ गई और चुप हो गई।
बाबा- चल अब नाड़ा खोल दे।
लाजवंती ने ज्यादा नहीं सोचा और अपनी सलवार का नाड़ा खोल दिया।
बाबा बोला- इसको वहाँ रख दे और वहाँ चारपाई पर लेट जा।
लाजवंती ने सलवार उतार दी और लेट गई।
बाबा ने अब लाजवंती के चूत पर हाथ रख दिया और सहलाने लगा।
तो लाजवंती को मज़ा आने लगा।
बाबा- कैसे लग रहा है बेटी?
लाजवंती- बढ़िया लग रहा बाबा!
बाबा ने अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा।
लाजवंती सिसकारी भर कर अपनी दोनों टांगें उठा कर मज़े ले रही थी।
बाबा- बच्चा अब थोड़ा सा दर्द होगा तुझे और फिर पूरी जिंदगी तेरे या बीमारी नहीं होगी।
लाजवंती ने हाँ में सिर हिलाया और मज़े लेती रही।
बाबा ने अपनी धोती खोल कर लंड बाहर निकाला और लाजवंती के ऊपर चढ़ गया। उसने अपना लंड लाजवंती की गीली चूत में डाल दिया और धक्का मारा.
तो उसे ज्यादा दर्द नहीं हुआ क्योंकि वो मूली गाजर रोज ही अंदर पेलती थी।
बाबा- दर्द तो नहीं हुआ बेटी?
लाजवंती- आह नहीं बाबा आह आह!
बाबा समझ गया कि उसका काम हो गया और उसने चोदना शुरू कर दिया।
लाजवंती मज़े से चुदाई करवाती रही और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
अब बाबा का लंड झड़ने वाला था तो उसने बाहर निकाल लिया और खड़ा होकर हाथ से ही पानी निकाल दिया।
इसके बाद से तो बाबा रोज लाजवंती की चुदाई करता।
फिर उसकी शादी हो गई।
पर बाबा तो और ज्यादा प्रसिद्ध हो चुका था।
लाजवंती के पड़ोस में ही एक औरत की शादी को दो साल हो गए थे पर कोई बच्चा नहीं हुआ था तो उसने लाजवंती की मां को बताया।
तो उसने बाबा के बारे में पूरी जानकारी दी।
अगले दिन कमला अपने बेटे की बहू कुसुम को लेकर बाबा के पास गई।
बाबा ने कमला को आश्वासन दिया कि ऊपर वाला सब ठीक कर देगा।
और कुसुम को सामने बैठा कर उसके बारे में पूछने लगा- कितनी उम्र है बेटी?
कुसुम- 23 साल है बाबा.
बाबा- शादी कब हुई थी?
कुसुम- दो साल पहले!
बाबा- बच्चा क्यूँ नहीं हुआ?
कुसुम- पता नहीं बाबा के हो गया।
बाबा- हाँ ये ही पूछ रहा हूं … के हो गया?
कुसुम- मुझे नहीं पता बाबा।
बाबा- तुझे ही तो पता है बेटी … और कोई नहीं बता सकता।
कुसुम- क्या पता है मुझे?
बाबा- क्या हुआ है. कुछ होता भी है या नहीं?
कुसुम समझ गई- हाँ बाबा, करते तो हैं पर बच्चा नहीं होता है।
बाबा- कितने दिन में करते हो?
कुसुम- दो चार दिन में हो ही जावे।
बाबा- कितनी बार करते हो?
कुसुम- एक बार करे।
बाबा- कितनी देर तक होता है।
कुसुम- पता नहीं बाबा. टाइम तो देखती नी! पर इस बात से क्या फ़र्क पड़े।
बाबा- बेटी, इसी बात की वज़ह से तो बच्चा नहीं होता।
कुसुम- तो क्या करूं बाबा?
बाबा- बच्चा आज घर जा कर जब करेगी तो ध्यान देना कितनी देर तक करा … और बीज अंदर गया क्या!
कुसुम- ठीक है बाबा।
बाबा- सुबह जल्दी उठकर आना और मुझे फिर से दिखाना पड़ेगा।
कुसुम- ठीक है बाबा, मैं आ जाऊंगी।
अब कुसुम घर आ गई और रात को जब उसका पति उसे चोदने लगा तो वो पूरा ध्यान दे रही थी।
पर उसका पति लंड घुसा कर चोदने लगा और दो मिनट में ही झड़ गया।
अगली सुबह 4 बजे ही कुसुम ने कमला को बाबा के पास जाने को बोला तो वो दोनों साथ मंदिर आ गई।
ज्यादा दिन नहीं निकला था तो थोड़ा अंधेरा ही था।
दोनों ने बाबा को प्रणाम किया और बाबा ने उन्हें मंदिर के पीछे जाने को बोला।
अब बाबा भी आ गया तो बाबा बोला- माई तू मंदिर में दर्शन कर ले. या बहू तेरे सामने ठीक से बात ना करने की।
तो कमला वहाँ से चली गई।
बाबा- हाँ बेटी, बताओ क्या हुआ कल रात को?
कुसुम- बाबा किया तो था पर थोड़ी देर ही हुआ।
बाबा- बीज अंदर गया था?
कुसुम- हाँ बाबा.
बाबा- तुम्हारा भी बीज निकला?
कुसुम- नहीं बाबा. वो तो इतनी जल्दी हो जावे. मेरा ना निकलता।
बाबा- तो अब तुम समझ गई क्यूँ मां नहीं बनती है।
कुसुम चुप रही।
बाबा- जब दोनों का बीज आपस में मिलेगा तभी तो बच्चा पैदा होगा।
कुसुम- तो अबे क्या करूं बाबा? जब वो निकलता ही नहीं।
बाबा- किसी और के साथ करना पड़ेगा जो तेरा भी बीज निकाल दे।
कुसुम- बाबा ये क्या कह रहे? किसी और के साथ किया तो कितनी बदनामी होगी। मेरे ससुराल वाले घर से निकाल देंगे। मेरी पूरी जिंदगी खराब हो जाएगी।
बाबा- बेटी ये बात तो ठीक है। पर ऐसे तुम कभी भी मां नहीं बन पाओगी.
कुसुम अब सोच में पड़ गई।
बाबा- एक समाधान मेरे पास है। तुम मां भी बन जाओगी और किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा।
कुसुम हाथ जोड़ कर बोली- बाबा तो बता दो. मैं पूरी जिंदगी आपका अहसान मानूंगी।
बाबा- बेटी, मैं दे सकता हूं तुम्हें अपना बीज।
कुसुम- पर बाबा … मैं यहां अकेली कैसे आऊंगी?
बाबा- में तेरी सास को बोल दूंगा कि इसे एक महीने तक रोज सुबह मंदिर पूजा करनी होगी।
कुसुम- बाबा, मेरी सास मेरे साथ ही आएगी।
बाबा- शुरुवात में एक दो दिन आएगी रोज नहीं आएगी। तू रोज पूजा करने में काफी देर तक बैठ कर नाम जपा कर। भरोसा कर वो दो दिन भी नहीं आएगी.
कुसुम अब खुश हो गई।
अब कुसुम पूजा करने के लिए आने लगी.
उसकी सास दो चार दिन तो साथ आई, फिर वो बोली- तू अकेली ही चली जाया कर! मैं तो परेशान हो गयी. तुझे एक घंटा लगे पूजा करने में।
अब कुसुम जल्दी से मंदिर आ गई और पूजा करने के बाद बाबा को इशारा किया।
बाबा भी पीछे आ गया।
वो अंदर आ कर बैठ गई।
तो बाबा उसे देख कर बोला- आज नहीं आई तेरी सास?
कुसुम- नहीं बाबा!
बाबा- हमने बोला था पहले ही!
कुसुम- हाँ बाबा, अब कर जल्दी से … मुझे जल्दी घर जाना है।
बाबा- जल्दी मत कर बच्चा … जिस समय रोज जाती है उसी समय जाना।
कुसुम को बाबा ने चारपाई पर ही लेटा लिया और उसके होंठ चूसने लगा।
फिर उसकी ब्लाउज के हुक खोल कर चोली (ब्रा) उतारने लगा।
वो कुसुम की मुलायम चूची को दबा दबा कर चूसने लगा।
कुसुम मज़े ले रही थी।
बाबा बोला- बेटी, अब उतार दे ये साड़ी और पेटीकोट भी।
अब कुसुम नंगी हो गई और बाबा भी।
बाबा ने कुसुम की चूत में दो उंगली डाल दी और हिलाने लगा।
कुसुम की चूत का पानी निकला और वो पूरी तरह उस पानी से गीली हो गई।
तो बाबा ने उसे लेटने के बोला और ऊपर चढ़ कर लंड अंदर घुसा दिया.
कुसुम जोर से चीख उठी.
बाबा ने उसका मुंह बंद कर दिया और बोला- क्या हुआ बेटी?
कुसुम बोली- बाबा दर्द हो रहा है। रुक जाओ!
तो बाबा रुक गया और कुसुम के चूचे दबाने लगा।
कुसुम बोली- बाबा मेरे घर वाले का तो छोटा सा है। तेरा तो घोड़ा जितना है पेट तक उतार दिया।
बाबा- बेटी, छोटे लंड के कारण ही तो तेरा बीज नहीं निकलता और तू मां नहीं बनती। पर अब मैं तुझे मां बना के ही रहूंगा।
अब बाबा फिर से धीरे धीरे चोदने लगा।
तो कुसुम अब अपनी गांड उठा कर धक्के मारने लगी.
बाबा ने भी जोर जोर से चोदना शुरू कर दिया और कुसुम की चूत में वीर्य निकाल दिया.
कुसुम का भी पानी निकल गया।
अब बाबा कुसुम को कई दिन तक रोज सुबह चोदता था।
उसके अगले महीने महावारी (पीरियड्स) नहीं हुए।
तो वो खुश हो गई और उसने सबको बताया कि वो मां बनने वाली है.
इस तरह के कई काम बाबा ने किए.
अब उसके पास बहुत लोग इलाज कराने आते हैं।
वो नये नये तरीकों से महिलाओं की चुदाई करता है।
एक महिला उसके पास आई तो बाबा बोला- अंदर कमरे में जाओ और नाड़ा खोल दो.
तो वो हंसते हुए अंदर गई और अपनी साड़ी उतार कर पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया.
बाबा ने उसकी अच्छे से चुदाई की।
और बाहर सब सोच रहे थे कि अंदर इलाज हो रहा है।
फिर एक शरीफ महिला बाबा के पास आई तो बाबा ने उसे भी कहा- अंदर जाओ और नाड़ा खोल दो।
उस महिला ने शोर मचा दिया और अपने दूर खड़े पति को बुला कर नाड़ा खोलने वाली बात बताई.
तो बाबा को लगा कि आज सारे भक्त मिल कर उसकी गांड तोड़ेंगे। आज तो बाबा का ही इलाज होगा।
पर बाबा कहाँ फंसने वाला था।
उसने कहा- बच्चा, ऐसी गन्दी बात बोल कर अपमान मत करो मेरा!
तो वो लोग बोले- बाबा, या अकेली बैठी तो इसको तुमने नाड़ा खोलने की कही या नहीं?
बाबा- हाँ मैंने कहा। पर वो नाड़ा तो अंदर कमरे में है। जो भगवान की मन्नत मांगने के लिए बांधा है।
अब सब लोग शांत हो गए और वो महिला बाबा के पैरों में गिर कर माफी मांगने लगी।
बाबा ने तो अब अच्छा तरीका अपना लिया.
सबको नाड़ा खोलने के लिए बोलता.
जो महिला नाड़े वाली बात सुन कर कमरे में चली गई उसकी चूत गांड चोद देता.
नहीं तो मन्नत वाला नाड़ा बता देता और बच जाता।
पर किसी समझदार इंसान ने उस बाबा सेक्स वाली बात पकड़ ली और पुलिस को बुला लिया।
पुलिस के पकड़ने के बाद पता चला वो जेल से भागा हुआ मुजरिम था।
पर कई साल से बाबा बना हुआ था।
उसकी नाड़ा खोलने वाली बात मुझे बहुत अच्छी लगी.
और आपको क्या अच्छा लगा? मुझे जरूर बताएं।
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