मेरी मोहब्बत आंटी की चुदाई का रास्ता साफ़ हो चुका था. आंटी मेरे सामने नंगी लेटी थी और मैं आंटी की चूत में अपना लंड घुसाने के लिए तैयार था.
अब तक मेरी आंटी की चुदाई की कहानी के पहले भाग
मेरी पहली मोहब्बत आंटी की चुदाई-1
में आपने पढ़ा कि आंटी की चुदाई अब होने में कुछ ही देर बाक़ी थी.
मैं फिर उनको किस करने लगा और फिर प्रमिला आंटी उठी और कुर्ती भी निकाल दी। अब प्रमिला आंटी के बूब्ज़ मेरे सामने थे।
उनके बूब्ज़ ज्यादा बड़े नहीं थे पर पता नहीं क्यूं मैं उनके बूब्ज़ का दीवाना था. पहली बार मुझे उनके बूब्स को चूमने का मौका मिला था।
आंटी ने मुझे लेटा दिया, खुद मेरे ऊपर आ गयी और मुझे किस करने लगी, मेरी जीभ को भी चूसने लगी.
मैंने कहा- आपको तो अच्छा नहीं लगता था ये?
तो वो बोली- तुमने मुझे मेरी चुत चूस कर इतना मजा दिया तो क्या मैं तुम्हारे लिये इतना भी नहीं कर सकती!
यह कह कर प्रमिला आंटी फिर से मेरी जीभ को चूसने लगी. मैं उनके बूब्ज़ को मसल रहा था.
थोड़ी देर में आंटी फिर से गर्म हो गयी और कहने लगी- अब और इंतजार मत करवाओ।
मैंने उन्हें बिस्तर पर लेटाया और मैं उनके ऊपर आ गया और बूब्ज़ को चूसने लगा. फिर मैंने उनके पेट पर अपनी जीभ घुमाना शुरू किया, उनकी नाभि को चुमने लगा.
तो आंटी सिसकारियाँ लेने लगी.
फिर मैंने आंटी की टांगें फैलायी और अपने लंड को प्रमिला आंटी की चुत पर रगड़ने लगा. उनकी चुत से जो गर्मी निकल रही थी, उसे मैं अपने लंड पर महसूस कर रहा था।
प्रमिला आंटी की चुत की गर्मी की वजह से मेरा लंड और भी सख्त हो गया था.
मैंने आंटी की चुत पर थोड़ी देर लंड रगड़ने के बाद कहा- आप मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चुत पर रखो.
आंटी ने मेरे लंड को पहले तो अपनी मुट्ठी में कस कर पकड़ा और थोड़ी देर तक हिलाया. उसके बाद अपने हाथ में ढेर सारा थूक लेकर मेरे लंड पर लगाया और अपनी चुत पर रख दिया.
फिर मैंने धीरे से अपने लंड को प्रमिला आंटी की चुत में डालना प्रारंभ किया। मेरा लंड मोटा होने के कारण आंटी की चुत में धीरे-धीरे जा रहा था. मैंने जोर से धक्का मारने का प्रयास नहीं किया क्योंकि मैं आंटी को दर्द नहीं देना चाहता था।
धीरे से मैंने प्रमिला आंटी की चुत में पूरा लंड डाल दिया और उनके ऊपर थोड़ी देर लेट गया, उनको किस करने लगा. फिर मैंने धीरे-धीरे झटके मारे और 2 मिनट में ही मेरा पानी निकलने वाला था।
मैं जोर-जोर से धक्के मारने लगा और मेरा पानी निकल गया।
इससे मैं निराश था क्योंकि आंटी को पूरी संतुष्टि से चोद ना सका था. मैंने अपना लंड बाहर निकाला और आंटी की बगल में लेट गया और आंटी से बोला- सॉरी आंटी, मेरा पानी जल्दी निकल गया … पता नहीं क्यों!
तो आंटी बोली- कोई बात नहीं, ऐसा होता है. तुम्हारा पहली बार था ना इसलिए।
आंटी पूर्ण संतुष्ट तो नहीं हुई थी पर वो खुश थी।
थोड़ी देर हम एक दूसरे की बांहों में लेटे रहे. फिर आंटी का ध्यान घड़ी पर गया तो दोपहर का एक बज गया था.
आंटी ने कहा- बच्चों के आने का समय हो गया है।
तो मैंने आंटी को किस् किया और हम दोनों ने कपड़े पहने और मैं जाने लगा.
आंटी ने मेरा हाथ पकड़ कर रोक लिया और मेरी आँखों में देखने लगी.
मैंने कहा- क्या हुआ?
तो उन्होंने मुझे फिर से किस किया और कहने लगी- मनीष, तुम मुझे कभी छोड़ कर तो नहीं जाओगे ना?
मैंने उनके सिर को चूमते हुए कहा- कभी नहीं।
और फिर मैं अपने कमरे में आ गया।
फिर मैं नहा-धो कर तैयार हो गया और पापा को फोन किया- आप लोग कब आ रहे हैं?
तो उन्होंने कहा- कल सुबह तक आ जायेंगे।
मैं खुश हो गया।
फिर मैं बाईक उठा कर अपने दोस्तों को मिलने चला गया।
चार बजे प्रमिला आंटी का फोन आया. उनका फोन देख कर मैं थोड़ा चौंक गया पर मेरी खुशी ज्यादा थी.
मैंने फोन उठाया तो आंटी बोली- तुम कहां हो? अभी तक घर नहीं आये?
तो मैंने कहा- क्यूं आंटी, मेरी याद आ रही है क्या?
तो उन्होंने शर्माते हुए कहा- नहीं तो … मैं बस ऐसे ही पूछ रही थी.
मैंने कहा- थोड़ी देर में आ रहा हूं.
तो आंटी ने कहा- जल्दी आना, मैं इंतजार करूंगी.
और फोन रख दिया।
अब तो मैं भी बेताब हो गया था, अब एक पल भी दोस्तों के साथ मन नहीं लग रहा था.
मैंने दोस्तों को कहा- अब मुझे जाना है, घर कुछ काम है.
तो दोस्तों ने कहा- यार, अभी से जा रहा है? क्या करेगा घर जाकर?
मैंने कहा- कुछ काम है.
और मैं वहां से फौरन निकल गया और घर आ गया.
मैंने मेन गेट खोला तो प्रमिला आंटी बाहर बरामदे में बैठी थी और ऐसा लग रहा था कि मेरा ही इंतजार कर रही थी.
मुझे देखते ही उनके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी। आंटी अपने छोटे बेटे को बाहर बैठा कर पढ़ा रही थी।
मैं अपने घर के अंदर गया और कुर्सी ले कर आया. मैं भी आंटी के सामने बरामदे में बैठ गया.
आंटी नहा चुकी थी और उन्होंने लाल रंग की साड़ी पहन रखी थी।
मैं उन्हें देख रहा था. उन्होंने मुझे आँखों से इशारा किया।
फिर उन्होंने अपने बेटे से कहा- तूने ये शॉर्ट्स क्यूं पहनी? दूसरी पहन कर आओ.
तो उनका बेटा बोला- इसमें क्या हो गया? ठीक तो है.
उन्होंने फिर कहा- बोला ना कि शॉर्ट्स पहन कर आ!
उनका इशारा मेरी तरफ था क्यूंकि मैंने जींस पहन रखी थी. वो मेरे शॉर्ट्स में से मेरे लंड के उभार को देखना चाहती थी.
मैं समझ गया और उठ कर शॉर्ट्स पहन कर आ गया.
तो उन्होंने हाथ से इशारा करके कहा- सुपर।
मैं फिर कुर्सी पर बैठ गया और अपने लंड को धीरे-धीरे मसलने लगा तो प्रमिला आंटी मुस्कुराने लगी. वो भी मुझे अपने बूब्ज़ दिखाने की कोशिश कर रही थी. ऐसे ही हम दोनों की बातें और इशारे चल रहे थे.
इतने में उनकी बेटी कोचिंग से आ गयी तो हम दोनों संभल कर बैठ गये।
फिर आंटी भी अंदर चली गयी और मुझे बोली- मैं अब खाना बनाऊँगी तो आ जाना खाने।
8 बजे के लगभग मैं खाना खाकर वापिस अपने घर की तरफ आ गया और पढ़ाई करने लगा.
पर पढ़ाई में मेरा बिल्कुल मन नहीं लग रहा था, मुझे तो बस आंटी ही दिखाई दे रही थी. पता नहीं क्यूं मुझे ऐसा लग रहा था कि मुझे उनसे मोहब्बत हो गयी थी।
थोड़ी देर किताब खोल कर बैठा, फिर टीवी चालू कर ली और मूवी देखने लगा.
12 बजे करीब मूवी खत्म हुई और मैं सो गया. पर मुझे नींद नहीं आ रही थी.
मैं तो बस प्रमिला आंटी के ख्यालों में खोया हुआ था. आप लोगों को प्रमिला आंटी इतनी खूबसूरत नहीं लगेगी. पर मैं तो बस उनका दीवाना था. जब से 18 साल का हुआ था, मुझे उनसे मोहब्बत हो गयी थी. पर कभी सोचा नहीं था कि प्रमिला आंटी भी मुझे इतनी मोहब्बत करेगी।
मैं उनके ख्यालों में ही था कि प्रमिला आंटी मेरे रूम में आ गयी और मेरी रजाई में आ गई और मुझसे लिपट गयी. मैं समझ गया कि प्रमिला आंटी आ गयी हैं।
मैंने धीरे से कहा- मेरे बिना नींद नहीं आ रही थी क्या?
तो आंटी बोली- तुम्हें भी तो नींद नहीं आ रही थी।
मैं उनकी तरफ चेहरा करके बोला- आपके बारे में ही सोच रहा था।
और उन्हें किस करने लगा।
आंटी बोली- तुम्हारे लिये सरप्राईज है,
तो मैंने कहा- अच्छा क्या सरप्राईज है?
आंटी ने कहा- आँखें बंद करो.
और उन्होंने मेरे हाथ को अपने हाथ में पकड़ा और पेटीकोट के अंदर डाल कर चुत पर रख दिया और बोली- अब सहलाओ.
तो मुझे महसूस हुआ कि ये आंटी की चुत थी और उस पर एक भी बाल नहीं था.
मैंने आँखें खोली और उनको बिस्तर पर लेटाया. मैंने उनकी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर करके चुत को देखा. चुत पर एक भी बाल नहीं था.
प्रमिला आंटी की चुत थोड़ी काली थी तथा उनकी चुत के लिप्स खुले हुए थे. उनकी उम्र के हिसाब उनकी चुत नहीं, वो भोसड़ा था. पर मैं खुश था और उनकी चुत पर पागलों की तरह टूट पड़ा और बेरहमी से चुत को चाटने लगा. आंटी सिसकारियाँ ले रही थी।
अब मैं दिन की तरह ये सब करने में टाइम वेस्ट नहीं करना चाहता था क्यूंकि दिन में थोड़ी देर में ही मेरा पानी निकल गया था।
आंटी ने कहा- तुम लेट जाओ, एक और सरप्राइज है तुम्हारे लिए!
मैं लेट गया.
प्रमिला आंटी ने मेरे शॉर्ट्स को निकाल दिया. अब मेरा लंड आंटी की मुट्ठी में था. आंटी के चेहरे पर मेरे लंड को देख कर खुशी साफ दिखाई दे रही थी.
आंटी कहने लगी- तुम्हारा लंड तो मेरी मुट्ठी के अंदर आ ही नहीं रहा है.
प्रमिला आंटी मेरे लंड को सहला रही थी और फिर धीरे से अपने होंठों से चूमने लगी.
मैं मुस्कुराने लगा.
आंटी थोड़ा असहज महसूस कर रही थी. पर मेरी खुशी के लिये वो मेरे लंड को चूसने लगी.
मेरी तो जैसे जान ही निकल रही थी. मैं थोड़ा नर्वस था कि कहीं दिन में जो हुआ था उस तरह फिर से कहीं मेरा पानी जल्दी ना निकल जाये।
आंटी ने थोड़ी देर मेरे लंड को चूसा और फिर से मेरे ऊपर आ गयी और अपने हाथ से अपना एक बूब पकड़ कर मेरे मुंह में दे दिया. मैं किसी नवजात शिशु की तरह उनके बूब को चूसने लगा.
फिर मैंने आंटी को लेटाया और बिना देर किये आंटी की टांगों को फैलाया और अपने लंड को उनकी चुत के मुंह पर रख कर धीरे से लंड अंदर डाल दिया. फिर धीरे-धीरे मैंने धक्के मारना शुरू किया.
प्रमिला आंटी मजे ले रही थी और धीरे-धीरे आवाजें निकाल रही थी।
अभी भी मैं लंड को प्रमिला आंटी की चुत में धीरे-धीरे डाल रहा था तो आंटी बोल उठी- थोड़ी स्पीड बढ़ाओ ना!
मैं मुस्कुराया और जोर जोर से धक्के मारने लगा.
प्रमिला आंटी की वासना अब चरम सीमा पर थी, वो अपनी गांड उठा उठा कर मेरे लंड को अंदर तक लेने की कोशिश कर रही थी.
आंटी का अब पानी निकल चुका था.
हम दोनों की चुदाई को 15 मिनट हो गये थे, मैं एक ही पोजिशन में चोदे जा रहा था.
तो आंटी ने कहा- डोगी स्टाइल से करें अब?
मैंने कहा- ठीक है!
वो अब डोगी पोजिशन में आ गयी. मैंने प्रमिला आंटी की कमर पकड़ कर जोर-जोर से धक्के मारना शुरू किया तो धक्कों के कारण मेरी जांघें प्रमिला आंटी की गदराई हुई गांड से टकरा रही थी. जिसके कारण आवाज पूरे रूम में गूंज रही थी और प्रमिला आंटी भी आवाजें कर रही थी।
अब मेरा पानी भी निकलने का समय आ गया था और प्रमिला आंटी भी कहने लगी- और जोर से … अब मेरा पानी निकलने वाला है. प्लीज रूकना मत अब।
मैं भी जोर-जोर से धक्के मारने लगा.
5 मिनट बाद आंटी का पानी निकल गया और मैंने भी जोर जोर से मारते हुए अपने लंड का पानी प्रमिला आंटी की चुत में डाल दिया और असहाय होकर प्रमिला आंटी के ऊपर ढेर हो गया।
हम दोनों थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहे. फिर मैं उठा प्रमिला आंटी के बगल में लेट गया और उनके बूब्ज़ दबाने लगा।
मैंने प्रमिला आंटी को कहा- आप खुश हैं अब?
वो मेरे गालों पर हाथ फेरते हुए बोली- बहुत … बहुत ज्यादा खुश हूं। तुम्हें पता नहीं है कि तुमने मुझे कितनी खुशी दी है।
हम दोनों ने एक दूसरे को बांहों में भर लिया। प्रमिला आंटी थोड़ी भावुक हो गयी थी और मेरी आँखों में देख कर रोने लग गयी.
मैंने कहा- क्या हुआ? आप रो रही हो? अभी तो बोल रही थी कि मैं बहुत खुश हूं.
प्रमिला आंटी कहने लगी- कितने साल बाद आज मुझे इतना प्यार मिला … इसलिए थोड़ा भावुक हो गयी।
मैंने भी उनके गालों को दोनों हाथों से पकड़ा और कहा- अब मैं आपको कभी निराश नहीं करूंगा।
तो दोस्तो, यह थी मेरी पहली सच्ची मोहब्बत के साथ पहली चुदाई।
हम दोनों दो साल तक ऐसे ही मौके मौके पर चुदाई करते रहे। अब अंकल का ट्रांसफर हमारे शहर में हो गया है. फिर भी हम कभी ना कभी तो चुदाई कर ही लेते हैं।
मेरी मोहब्बत आंटी के लिए कम नहीं हुई है और आंटी भी मुझसे बहुत मोहब्बत करने लगी हैं।
दोस्तो, मेरी कहानी पसंद आये तो लाईक जरूर करना।
धन्यवाद!
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